बड़ी मुद्दतों से तेरी याद से कोई राब्ता नहीं
ऐसा क्यूँ लगे के तुझसे मेरा कोई वास्ता नहीं
तेरी हर याद पे लुटता हुआ बड़ी दूर आ गया
लौटूँ कहाँ तू ही बता अब कोई रास्ता नहीं
वक़त-ओ-तक़दीर कि गिरफ्त मुझसे ज़रा दूर ही ठहर
ये दिल किसी सरहदों को जानता नहीं
बड़ी हसरते हैं दिल में तेरी एक दीदार की
अब तुझ से रहूँ जुदा ये दिल मानता नहीं
कर लो सितम जितनी भी आरज़ू है ए दुनिया
एक दिन मेरे अलफ़ाज़ नेज़े से तुमको चुभेंगे
आज क़ल्ब-ए-बशर खुश्क सा है मेरे एहसास से मगर
कल इन्ही नम होठों पे मेरे गीत सजेंगे
गर खिलने नहीं देंगी के दिल-ए-बंजर में वफ़ा
रस्म-ओ-रीवाज़ और ये मजहब कि ये दीवारें
इश्क़ सच्चा है मेरा अगर तो रब कि इनायत से अर्श पर
ये अरवाह फरिश्तो कि गवाही में मिलेंगे
  
ऐसा क्यूँ लगे के तुझसे मेरा कोई वास्ता नहीं
तेरी हर याद पे लुटता हुआ बड़ी दूर आ गया
लौटूँ कहाँ तू ही बता अब कोई रास्ता नहीं
वक़त-ओ-तक़दीर कि गिरफ्त मुझसे ज़रा दूर ही ठहर
ये दिल किसी सरहदों को जानता नहीं
बड़ी हसरते हैं दिल में तेरी एक दीदार की
अब तुझ से रहूँ जुदा ये दिल मानता नहीं
कर लो सितम जितनी भी आरज़ू है ए दुनिया
एक दिन मेरे अलफ़ाज़ नेज़े से तुमको चुभेंगे
आज क़ल्ब-ए-बशर खुश्क सा है मेरे एहसास से मगर
कल इन्ही नम होठों पे मेरे गीत सजेंगे
गर खिलने नहीं देंगी के दिल-ए-बंजर में वफ़ा
रस्म-ओ-रीवाज़ और ये मजहब कि ये दीवारें
इश्क़ सच्चा है मेरा अगर तो रब कि इनायत से अर्श पर
ये अरवाह फरिश्तो कि गवाही में मिलेंगे
 
bahut bahut khoobsoorat ,,
ReplyDeleteShukriya Didi :)
DeleteWah khan sahab..wah ... kya bat has .. cha gaye guru :-)
ReplyDeleteThank you Bhai :)
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